नई दिल्ली। वर्तमान समय में इंटरनेट जरूरत बनने के साथ चुनौती भी पेश कर रहा है। विशेषकर बच्चों और किशोरों के लिए। दिल्ली-एनसीआर के लगभग आधे किशोरों को इंटरनेट की लत है। इतना ही नहीं दिल्ली-एनसीआर में इंटरनेट का उपयोग करने वाला हर तीन में से एक किशोर नकारात्मक अनुभव से गुजरा है। इस बात का पता दिल्ली-एनसीआर में किशोरों, किशोरियों के इंटरनेट उपयोग पर चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) संस्था द्वारा किए गए अध्ययन से चलता है।
क्राई ने इंटरनेट के बढ़ते उपयोग को देखते हुए ऑन लाइन सेफ्टी एंड इंटरनेट एडिक्शन पर जारी अपनी रिपोर्ट में ऑनलाइन दुनिया को बच्चों के लिए सुरक्षित बनाने के लिए बेहतर निगरानी तंत्र स्थापित करने की जरूरत पर बल दिया है। इस काम में माता-पिता, संरक्षक और शिक्षक की भागीदारी के अलावा कानूनी उपाय किए जाने की जरूरत बताई गई है।
गैर सरकारी संस्था क्राई ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर के किशोरों पर किए गए अध्ययन की ऑनलाइन सेफ्टी एंड इंटरनेट एडिक्शन पर रिपोर्ट जारी की। दिल्ली-एनसीआर के 13 से 18 साल की आयु के बीच के 600 से ज्यादा बच्चों पर इंटरनेट के उपयोग के बारे में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि किशोरों, किशोरियों की इंटरनेट तक आसान पहुंच है। 93 फीसद किशोर किशोरी अपने घर का इंटरनेट इस्तेमाल करते हैं।
60 फीसद लड़कों और 40 फीसद लड़कियों के पास अपना मोबाइल फोन है। इंटरनेट उपयोग करने वाले 80 फीसद लड़कों और 59 फीसद लड़कियों के सोशल मीडिया एकाउंट थे। लेकिन उनमें से करीब तीन चौथाई को सोशल मीडिया पर एकाउंट बनाने के लिए जरूरी न्यूनतम आयु की सही जानकारी नहीं थी। हर पांच में से दो इंटरनेट उपयोगकर्ता दोस्तों के दोस्त या पूरी तरह अजनबी का फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैं, जिससे वे साइबर खतरे के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।